अंजली भारती
मुजफ्फरपुर, बिहार
जानते हो मेरी पहचान क्या है?
मैं हूं आज की एक सजग नारी,
मगर दुनिया कहती मुझे बेचारी,
चाहती मुझे चारदीवारी में बंद रखना,
कहती है सुबह उठो रसोई को जाओ,
बात-बात पर सबकी ताने सुन जाओ,
मर्दों की गलतियों पर भी सजा मैं पाऊं,
दुनिया के लिए ना जाने क्यों मैं बोझ सा लगूं,
अच्छे पहनावे के साथ भी,
लोगों की गंदी निगाहें पाऊं,
मगर अब मैं किसी से डरती नहीं,
किसी के पांव तले दबती नहीं,
जानते हो मेरी पहचान क्या है?
मैं हूं आज की एक सजग नारी।।
चरखा फीचर
मैं हूं आज की एक सजग नारी,
मगर दुनिया कहती मुझे बेचारी,
चाहती मुझे चारदीवारी में बंद रखना,
कहती है सुबह उठो रसोई को जाओ,
बात-बात पर सबकी ताने सुन जाओ,
मर्दों की गलतियों पर भी सजा मैं पाऊं,
दुनिया के लिए ना जाने क्यों मैं बोझ सा लगूं,
अच्छे पहनावे के साथ भी,
लोगों की गंदी निगाहें पाऊं,
मगर अब मैं किसी से डरती नहीं,
किसी के पांव तले दबती नहीं,
जानते हो मेरी पहचान क्या है?
मैं हूं आज की एक सजग नारी।।
चरखा फीचर
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