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देखो आसमान की ओर

राजनंदिनी कुमारी
मुजफ्फरपुर, बिहार
देखो आसमान की ओर
देखो आसमान की ओर,
हुआ सवेरा निकला सूरज,
घर के बाहर तुम देखो,
कैसी ये हरियाली है छाई,
पेड़-पौधे भी लगते भाई-भाई,
हवा भी बहती है आई,
फूलों संग है मंडराई,
देखो आसमान की ओर,
सूरज निकला हमारी ओर,
देखो ज़रा इन्हें गौर से,
सूरज के प्रकाश से,
कैसे जीवन है लहलहाई,
जैसे सफ़ेद चादर हो बिछाई,
है उजियारी इतनी सारी,
आंख हमारी खुल न पाई।।


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